और जो उस वहीं पर भी ईमान लाते हैं जो आप पर उतारी गयी और उस पर भी जो आपसे पहले उतारी गयी और आखिरत पर वह मुक्कमल यकीन रखते है (सुरह बकरह )
यह है वो लोग जो अपने परवरदिगार की तरफ से सही रास्ते पर है और यही है वो लोग जो फला पाने वाले हैं (सुरह बकरह )
बेशक वह लोग जिन्होंने कुफ़्र को अपना लिया है उनके हक़्क़ में दोनों बातें बराबर है चाहे आप उनको डराए या ना डराए वह ईमान नहीं लाएंगे
(सुरह बकरह )अल्लाह(ALLAH) ने उनके दिलो पर और उनके कानों पर मुहर लगा दी है और उनकी आंखों पर पर्दा पड़ा हुआ है और उनके लिए जबरदस्त आजाब है(सुर-ए-बक़रह)
कुछ लोग वह हैं जो कहते हैं कि हम अल्लाह(ALLAH) पर योमे और आख़िरत पर ईमान ले आये हलाके वह लोग हकीकत में मोमिन नहीं है (सुरह बकरह )
अल्लाह(ALLAH) को और उन लोगों को जो वाकई में ईमान ला चुके हैं वह धोखा देते हैं और हकीकत तो यह है कि वह अपने सिवा किसी और को धोखा नहीं दे रहे हैं लेकिन उन्हें इस बात का एहसास नहीं है
हां और इनसे कहा जाता है कि तुम भी उसी तरह ही ईमान ले आओ जैसे दूसरे लोग ईमान लाए हैं तो कहते हैं कि हम भी उसी तरह ईमान लाए जैसे बेवकूफ लोग ईमान लाए हैं खूब अच्छी तरह सोच लो कि यही लोग बेवकूफ हैं लेकिन वह यह बात नहीं जानते है
पढने की फ़ज़ीलत - (या मूमिन-ऐ अमनओ ईमान देनेवाले) जो शख्स किसी भी खौफ के वक़्त 630 मर्तबा इस इसम को पढ़ेगा इंशाअल्लाह हर तरह के खौफ और नुकसान से मेहफूज रहेगा जो शख्स इस इसम पढ़े या लिखकर पास रखे उसका जाहिर और बातिन अल्लाह ताला की अमन में रहेगा
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