अल-मुन्तकीम का तरजुमा, तफसिर और फायदे हिन्दी में

अल-मुन्तकीम(Al-Muntaqqim)
अल-मुन्तकीम(Al-Muntaqqim)


अल-मुन्तकीम है, वह जो विजयी रूप से अपने दुश्मनों पर हावी रहता है और उन्हें उनके पापों की सजा देता है।  अल्लाह सबसे अधिक धैर्यवान है, लेकिन वह समय आएगा जहां न्याय दिया जाना चाहिए।  जिन चीज़ों के लिए अल्लाह ने मना किया है उन चीज़ों से बचें जो उन्हें उकसाती हैं।

 कुरान और हदीस से उल्लेख

  

अल्लाह(ALLAH) ने उनके दिलो पर और उनके कानों पर मुहर लगा दी है और उनकी आंखों पर पर्दा पड़ा हुआ है और उनके लिए जबरदस्त आजाब है(सुर-ए-बक़रह) 


मगर हुआ यह के जो बात उनसे कहीं गई थी जालिमों ने उसे बदलकर एक और बात बना ली नतीजा ये की वह नाफ़रमानियां करते आ रहे थे हमने उनकी इंसाफ में उनपर आसमान से आजाब नाझील किया (सूरे अल बक़रह )


उसके बाद आज तुम ही वह लोग जो अपने ही आदमियों को कत्ल करते हो और अपने ही में से कुछ लोगों को उनके घरों से निकाल बाहर करते हो और उनके खिलाफ होना और ज्यादति कर करते हो उनके दुश्मनों की मदद करते हो और वह दुश्मनो के कैदी बनकर तुम्हारे पास आ जाते हैं तो तुम उनको फिदिया देकर छुड़ा लेते हो हालांके हम तो घर से निकालना हीं तुम्हारे लिए हराम था तो क्या तुम किताब याने तौरात के कुछ हिस्से पर ईमान रखते हो और कुछ का इनकार करते हो अब बताओ जो शख्स ऐसा करे उसकी सजा इसके सिवा क्या है दुनियावी जिंदगी  में उसकी रुस्वाई है और क़यामत के दिन ऐसे लोगों को बतरीन आजाब दिया जाएगा और जो कुछ तुम अमल करते हो अल्लाह(ALLAH) उससे गाफिल नहीं है

(सूरे अल बक़रह )

 


यह वह लोग है के जिन्होंने दुनियावी जिंदगी को आख़िरत के बदले खरीद लिया है लिहाजा न उनके आजाब में कोई ना तखदीफ़ होगी और ना उनकी कोई मदद की जाएगी  (सूरे अल बक़रह )


और वह वक़्त याद करो जब इब्राहिम ने कहा था कि ऐ मेरे परवरदिगार इसको एक पुरम शहर बना दीजिए और इसके बाद बाशिंदो मे से जो अल्लाह(ALLAH) और योमे आखिरत  पर ईमान लाए उन्हें किस्म किस्म के फलों से रिज्क अता फरमाएं अल्लाह(ALLAH) ने कहा और जो को कुफ्र इख़्तियार करेगा उसको भी मैं कुछ अर्से के लिए लुत्फ उठाने का मौका दूंगा मगर फिर उसे दोजख के आजाब के तरफ खिंच ले जाऊंगा और वह बतरीन ठिकाना है (सूरे अल बक़रह )


वह हमेशा इसी फिटकार में रहेंगे ना उन पर से आजाब को कम किया जाएगा और ना उनको मोहलत दी जाएगी

(सुरे-अल-इमरान)


इन सब के बावजूद लोगों में कुछ वह भी हैं जो अल्लाह(Allah) के अलावा दूसरों को उसके खुदाई में इस तरह शरीक करार देते हैं तो उनसे ऐसी मोहब्बत रखते हैं जैसे अल्लाह(Allah) की मोहब्बत रखनी चाहिए और जो लोग ईमान ला चुके हैं वह अल्लाह(Allah) से सबसे ज्यादा मोहब्बत रखते हैं और काश यह जालिम दुनिया में कोई तकलीफ देखते हैं उसी वक्त यह समझ लिया करें के तमाम दर ताकत अल्लाह(Allah) को हासिल है और यह अल्लाह(Allah)का आजाब आखिरत में उस वक़्त बड़ा सख्त होंगा(सुरे-अल-इमरान)


जब वो पेशवा जिनके पीछे ये लोग चलते रहे हैं अपने पैरों गारों से मुकम्मल बेताल्लुक़ी का ऐलान करेंगे और यह सब लोग आजाब को अपनी आंखों के सामने देख लेंगे और उनके तमाम वहमी रिश्ते कट रह जाएंगे(सुरे-अल-इमरान)


और हज और उमराह अल्लाह(Allah) के लिए पूरा अदा करो अगर तुम्हें रोक दिया जाए तो जो कुर्बानी मुयस्सर हो अल्लाह(Allah) के हुजूर पेश कर दो और अपने सर उस वक्त न मुंडाओं जब तक कुर्बानी अपनी जगह ना पहुंच जाए हां अगर तुम में से कोई शख्स बीमार हो या उसके सर में कोई तकलीफ हो तो रोजो,सदके या क़ुरबानी का फिदिया दे फिर जब तुम अमन हासिल करलो जो शख्स हज के साथ उमरेका फायदा भी उठाए वह जो क़ुरबानी मुयस्सर हो अल्लाह(Allah) के हुज़ूर पेश करे हा अगर किसी के पास इसकी ताकद ना हो तो वह हज के दिनों में तीन रोजे रखे और सात उस वक़्त जब तुम घरो को लोट जाओ इस तरह यह कूल दस रोज़े होंगे ये हुक्म उन लोगो के लिए है जिनके के घरवाले मस्जिद ए हरम के पास ना रहते हो और अल्लाह(Allah) से डरते रहो और याद रखो अल्लाह(Allah) का आजाब बड़ा सख्त है(सुरे-अल-इमरान)


और उन्हीं में से ओ भी है जो यह कहते हैं ऐ हमारे परवरदिगार हमें दुनिया में भी भलाई अता फरमा और आख़िरत में भी भलाई और हमें दोजख के आजाब से बचा ले(सुरे-अल-इमरान) 



बनी इसराइल से पूछो हमने उनको कितने सारे खुले निशानिया दी और जिसके पास अल्लाह(Allah) की नेमत आ चुकी हो फिर वह उसको बदल डाले तो उसे याद रखना चाहिए के अल्लाह(Allah) का आजाब बड़ा सख्त है(सुरे-अल-इमरान)


जो इससे पहले लोगों के लिए जिस समय हिदायत बन कर आई थी और उसी ने हक़्क़ और बातिल को परखने का मयार नाझील किया बेशक जिन लोगों ने अल्लाह (Allah)की आयतों का इनकार किया है उनके लिए सख्त आजाब है और अल्लाह (Allah)जबरदस्त इब्तेदार का मालिक और बुराई का बदला देने वाला है (सुरे-अन निसा) 


जो लोग अल्लाह (Allah)की आयतों को झुट्लाते हैं और नबीयों को नाहक कत्ल करते हैं और इंसाफ की तलकिन करने वाले लोगों को भी क़त्ल करते हैं उनको दर्दनाक आजाब की खुशखबरी सुना दो (सुरे-अन निसा) 



मोमिन लोग मुसलमानों को छोड़कर काफिरों को अपना यारों मददगार ना बनाएं और जो ऐसा करेगा उसका अल्लाह (Allah)से कोई ताल्लुक नहीं इल्ला यह तुम उनके जुल्म से बचने के लिए बचाव का कोई तरीका है इख़्तियार करो और अल्लाह (Allah)तुम्हें अपने आजाब से बचाता है और उसी की तरफ सब को लौट कर जाना है (सुरे-अन निसा) 


वह दिन याद रखो जिस दिन किसी भी शख्स नेकी का जो काम किया होगा उसे अपने सामने मौजूद पाएगा और बुराई का जो काम किया होगा उसको भी अपने सामने देखकर यह तमन्ना करेगा कि काश उसके और उसकी बदी  के दरमियान बहुत दूर का फासला होता और अल्लाह (Allah)तुम्हें अपने आजाब से बचाता है और अल्लाह (Allah)अपने बन्दों पर बहुत शफकत रखता है (सुरे-अन निसा) 


इसके ब खिलाफ जो लोग अल्लाह (Allah)से किए हुए अहद और अपनी खाई हुए कसमो का सौदा करके थोड़ी सी कीमत हासिल कर लेते हैं उनका आखिरत में कोई हिस्सा नहीं होगा और कयामत के दिन ना अल्लाह (Allah)उनसे बात करेगा ना उन्हें रियायत की नजर से देखेगा ना उन्हें पाक करेगा और उनका हिस्सा तो बस आजाब होगा इंतिहा ही दर्दनाक

(सुरे-अन निसा) 


जिन लोगों ने कुफ्र अपनाया और काफ़िर होने की हालत ही में मरे उनमें से किसी से पूरी जमीन भरकर सोना भी कुबूल नहीं किया जाएगा हां वह अपनी जान छुड़ाने के लिए इसकी पेशकश ही क्यों ना करें उनको तो दर्दनाक आजाब होकर रहेगा और उनको किसी किस्म के मददगार मुयस्सर नहीं आएंगे  (सुरे-अन निसा) 


ऐ पैगम्बर तुम्हें इस फैसले का कोई इख़्तियार नहीं कि अल्लाह (Allah) इनकी तौबा को कबूल करें या इनको आजाब दे क्योंकि यह जालिम लोग है ( सुरे-अल-माइदा )


आसमानो और जमीन में जो कुछ है अल्लाह (Allah) ही का है वह जिसको को चाहता है माफ कर देता है और जिसको चाहता है आजाब देता है और अल्लाह (Allah) बहुत बख्शने वाला बड़ा मेहरबान है  ( सुरे-अल-माइदा )



और ऐ पैगम्बर जो लोग कुफ्र में एक दूसरे से बढ़कर तेजी दिखा रहे हैं वह तुम्हें सदमे में ना डालें यकीन रखो वह अल्लाह (Allah) का जरा भी नुकसान नहीं कर सकते अल्लाह (Allah) यह चाहता है कि आख़िरत में उनका कोई हिस्सा ना रखें और उनके लिए जबरदस्त आजाब तैयार कर रखा है ( सुरे-अल-माइदा )



जिन लोगों ने ईमान के बदले कुफ्र को मोल ले लिया है वह अल्लाह (Allah) को हरगिज जरा भी नुकसान नहीं पहुंचा सकते और उनके लिए एक दुख देने वाला आजाब तैयार है ( सुरे-अल-माइदा )



और जिन लोगों ने कुफ्र अपना लिया है वह हरगिज ये ना समझे कि हम उन्हें जो ढील दे रहे हैं वह उनके लिए कोई अच्छी बात है हकीकत ये है के हम तो उन्हें सिर्फ इसलिए ढील दे रहे हैं ताकि वह गुनाह में और आगे बढ़ जाए और आखिरकार उनके लिए ऐसा आजाब होगा जो उन्हें जलील कर के रख देगा ( सुरे-अल-माइदा )



यह हरगिज़ न समझना कि जो लोग अपने किए पर बड़े खुश हैं और चाहते हैं कि उनकी तारीफ उन कामों पर भी की जाए जो उन्होंने किए ही नहीं ऐसे लोगों के बारे में हरगिज़ यह ना समझना कि वह आजाब से बचने में कामयाब हो जाएंगे उनके लिए दर्दनाक सजा तैयार है ( सुरे-अल-माइदा )




जो उठते,बैठते और लेटे हुए हर हाल में अल्लाह (Allah) को याद करते हैं और आसमानो और जमीन की तखविल पर गौर करते हैं और उन्हें देख कर बोल उठते हैं कि ऐ हमारे परवरदिगार आपने यह सब कुछ बे मकसद पैदा नहीं किया आप ऐसे फ़ुज़ूल काम से पाक है बस हमें दोजख के आजाब से बचा लीजिए ( सुरे-अल-माइदा )



ऐ पैगम्बर तुम्हें इस फैसले का कोई इख़्तियार नहीं कि अल्लाह (Allah) इनकी तौबा को कबूल करें या इनको आजाब दे क्योंकि यह जालिम लोग है ( सुरे-अल-माइदा )


आसमानो और जमीन में जो कुछ है अल्लाह (Allah) ही का है वह जिसको को चाहता है माफ कर देता है और जिसको चाहता है आजाब देता है और अल्लाह (Allah) बहुत बख्शने वाला बड़ा मेहरबान है  ( सुरे-अल-माइदा )




 



पढ़ने के लाभ
 जो कोई भी न्यायसंगत है और अपने दुश्मन के खिलाफ बदला लेने की इच्छा रखता है, लेकिन ऐसा करने की शक्ति नहीं है, उसे लगातार 3 शुक्रवारों के लिए इस इस्मा को पढ़ना चाहिए, अल्लाह खुद उसकी ओर से बदला लेगा - इंशाअल्लाह।

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