अर-रशिद का तरजुमा, तफसिर और फायदे हिन्दी में AR RASSHID

अर-रशीद(Ar-Rashid)
अर-रशीद(Ar-Rashid)


अल्लाह अर-रशीद है, जो सकारात्मकता का मार्गदर्शन करता है।  अल्लाह सही मार्ग और विश्वास के लिए सर्वोच्च निर्देशक है।  वह लोगों को धर्म के लिए मजबूर नहीं करता है, उसने अपने दूतों के माध्यम से सही रास्ता दिखाया है।

 कुरान और हदीस से उल्लेख

 रूट आर-श-डी से जिसमें निम्नलिखित शास्त्रीय अरबी अर्थ हैं: सही मार्ग अपनाने के लिए एक सही विश्वास रखने के लिए सही तरीके से लेने के लिए निर्देशित करने के लिए सही पाठ्यक्रम का पालन करने के लिए होने वाली दुर्दशा के लिए निर्देशित किया जाना।

 अल्लाह के नाम Ar-Rasheed का कुरान में सीधे उपयोग नहीं किया गया है।  इस नाम की विशेषताओं से संबंधित छंद हैं।

 धर्म की [स्वीकृति] में कोई बाध्यता नहीं होगी।  सही पाठ्यक्रम गलत से स्पष्ट हो गया है।  जो कोई भी तगूत में अविश्वास करता है और अल्लाह को मानता है, उसने सबसे भरोसेमंद हथकंडा पकड़ लिया है, जिसमें कोई तोड़ नहीं है।  और अल्लाह सुनना और जानना है।  (कुरान 2: 256)

 कहते हैं, [हे मुहम्मद], "यह मुझे पता चला है कि जिन्न के एक समूह ने सुनी और कहा," वास्तव में, हमने एक अद्भुत कुरान सुना है।  यह सही पाठ्यक्रम के लिए मार्गदर्शन करता है, और हमने इसमें विश्वास किया है।  और हम अपने भगवान के साथ कभी नहीं जुड़ेंगे।  और [यह सिखाता है] अतिशयोक्ति हमारे भगवान का बड़प्पन है (कुरान 72: 1-3)

वह वह है जो अपने सेवकों को उन सभी के लिए मार्गदर्शन और निर्देश देता है जो उनके लिए लाभकारी होंगे और उन सभी से दूर होंगे जो उन्हें नुकसान पहुंचाएंगे।  वह वह है जो उन्हें सिखाता है जो वे पहले नहीं जानते थे और उन्हें एक मार्गदर्शन के साथ मार्गदर्शन करते हैं जो उन्हें सीधे पथ पर दृढ़ रखता है। 
  वह वह है जो अपने दिलों को तक्वा के साथ प्रेरित करता है और उन्हें अपने आदेशों के लिए दंडनीय और आज्ञाकारी बनाता है।  अर-रशीद अल-हकीम (समझदार) का अर्थ भी बताता है।  वह अपने कार्यों और कथनों में अर-राशिद है।  उनका सारा विधान अच्छा है, सही ढंग से मार्गदर्शन और उनकी रचना समाई है।

वह जो बिना सोचे समझे सही तरीके से नियुक्त या नियुक्त करता है।  वह जो सही मार्ग और सही विश्वास के लिए सर्वोच्च निर्देशक है।  वह जो पूरी तरह से और उचित रूप से सभी मामलों को उनके उचित निष्कर्ष की ओर निर्देशित करता है।  वह जिसे सभी मामलों को सही तरीके से निर्देशित करने के लिए किसी सहायता की आवश्यकता नहीं है। 


यह वह लोग है जिन्होंने हिदायत के बदले गुमराही  खरीद ली है लिहाजा उनकी तिजारत में ना नफा  हुआ और ना उन्हें सही रास्ता नसीब हुआ  (सुर-ए-बक़रह) 



रमजान का महीना वह है जिसमें कुरआन नाज़िल किया गया जो लोगों के लिए सराफा हिदायत है और ऐसे रोशन निशानियोंका का हामिल है जो सही रास्ता दिखाती है और हक़्क़ और बातील के दरमियान फैसला कर देती है लिहाजा तुम में से जो शख्स भी ये महीना पाए वह इस में जरूर रोजा रखे अगर कोई शख्स बीमार हो या फिर सफर में हो तो वह दूसरे दिनों में उतने ही तादात में पूरी कर ले अल्लाह(Allah) तुम्हारे साथ आसानी का मामला करना चाहता है और तुम्हारे लिए मुश्किल पैदा करना नहीं चाहता ताकि तुम रोजों की गिनती पूरी करलो और अल्लाह(Allah) ने तुम्हे जो राह दिखाई है उसपर अल्लाह(Allah) की तदबीर कहो ताके तुम शुक्रगुजार बनो (सुरे-अल-इमरान) 



दीन के मामले में कोई जबरदस्ती नहीं है हिदायत का रास्ता गुमराही से मुमताज होकर वाजे हो चुका इसके बाद जो शख्स जैसा ताहूत का इनकार करके अल्लाह (Allah)पर ईमान ले आएगा उसने एक मजबूत कुंडा थाम लिया जिसके टूटने का कोई इनकार नहीं और अल्लाह (Allah)खूब सुनने वाला सब कुछ जानने वाला है (सुरे-अन निसा)



बेशक अल्लाह (Allah)मेरा भी परवरदिगार है और तुम्हारा भी परवरदिगार यही सीधा रास्ता है तो सिर्फ उसी की इबारत करो  (सुरे-अन निसा)



बेशक मोतेब्बर दिन तो अल्लाह (Allah)के नजदीक इस्लाम ही है और जिन लोगों को किताब दी गई थी उन्होंने अलग रास्ता लाइल्मी में नहीं बल्कि इल्म आ जाने के बाद आपस की जिद्द की वजह से इख़्तियार किया और जो शख्स भी अल्लाह (Allah)के आयतों को झुटलाये तो उसे याद रखना चाहिए कि अल्लाह (Allah)बहुत जल्द हिसाब लेने वाला है

(सुरे-अन निसा)


दीन के मामले में कोई जबरदस्ती नहीं है हिदायत का रास्ता गुमराही से मुमताज होकर वाजे हो चुका इसके बाद जो शख्स जैसा ताहूत का इनकार करके अल्लाह (Allah)पर ईमान ले आएगा उसने एक मजबूत कुंडा थाम लिया जिसके टूटने का कोई इनकार नहीं और अल्लाह (Allah)खूब सुनने वाला सब कुछ जानने वाला है(सुरे-अन निसा)



अल्लाह (Allah)ईमान वालों का रखवाला है वह उन्हें अंधेरों से निकालकर रोशनी में लाता है और जिन लोगों ने कुफ्र अपना लिया है उनके रखवाले ओ शैतान हैं जो उन्हें रोशनी से निकाल कर अंधेरों में ले जाते हैं वह सब आग के वासी हैं वह हमेशा उसी में रहेंगे(सुरे-अन निसा)

 


क्या तुमने उस शख्स के हाल पर गौर किया जिसको अल्लाह (Allah)ने सल्तनत क्या दे दी थी कि वह अपने परवरदिगार के वजूद ही के बारे में इब्राहिम से बहस करने लगा जब इब्राहिम ने कहा कि मेरा परवरदिगार वह है जो जिंदगी भी देता है और मौत भी तो वह कहने लगा कि मैं भी जिंदगी देता हूं और मौत देता हूं इब्राहिम ने कहा अच्छा अल्लाह (Allah)तो सूरज को मशरिक से निकालता है तुम जरा उसे मगरिब से तो निकाल कर लाओ उस पर वह काफीर मदहुत होकर रह गया और अल्लाह (Allah)ऐसे जालिमों को हिदायत नहीं दिया करता(सुरे-अन निसा)



तुम्हारी औरतों में से जो बत्कारिका इख्तिखाफ करें उन पर अपने में से चार गवाह बना लो कि चूंनाचे अगर वह उनकी बत्कारि की गवाही दे तो उन औरतों को घरों में रोक कर रखो यहां तक कि उन्हें मौत उठाकर ले जाए या अल्लाह (Allah) उनके लिए कोई और रास्ता पैदा कर दे (सुरे-अल-माइदा)


 ये कुफ्र और ईमान(iman) के दरमियान डामाडोल है ना पूरे तौर पर इन मुसलमानों की तरफ है ना उन काफिरों की तरफ और जिसे अल्लाह(Allah) गुमराही में डाल दे तुम्हें उसके लिए हिदायत पर आने का कोई रास्ता हरगिज़ नहीं मिल सकता

(सुरे-अल-माइदा)


और जो शख्स अपने सामने हिदायत वाजे होने के बाद भी रसूल की मुखालीफत करें और मोमिनो के रास्ते के सिवा किसी और रास्ते की पैरवी करें उसको हम उसी राह के हवाले कर देंगे जो उसने खुद अपनाई है और उसे दोजख में झोकेंगे और वह बहुत बुरा ठिकाना है  (सुरे-अल-माइदा)


फिर तुम्हें क्या हो गया कि मुनाफिकिनके बारे में तुम दो गिरोह बन गए हालांकि उन्होंने जैसे काम किए हैं उनकी बिना पर अल्लाह(Allah) ने उनको औधा कर दिया है क्या तुम यह चाहते हो के ऐसे शख्स को हिदायत पर लाओ जिसे अल्लाह(Allah) उसकी ख्वाहिश के मुताबिक गुमराही में मुब्तला कर चुका हो और जिसे अल्लाह(Allah) गुमराही में मुब्तला कर दे उसके लिए तुम हरगिस कभी कोई भलाई का रास्ता नहीं पा सकते (सुरे-अल-माइदा)


 जिस के जरिए अल्लाह (Allah) उन लोगों को सलामती की राहे दिखाता है जो उसकी खुशनुदी के तालिब हैं और उन्हें अपने हुकुम से अंधेरीओ से निकालकर रोशनी की तरफ लाता है और उन्हें सीधे रास्ते की हिदायत अता फरमाता है

( सुरे-अल-अनआम)


और हमने उन पैगम्बर के बाद ईसा इब्ने मरियम को अपने से पहली किताब यानी तौरात की तस्दीख करने वाला बनाकर भेजा और हमने उनको इंजील अदा की जिसमें हिदायत थी और नूर था और जो अपने से पहले किताब यानी तौरात की तस्दीख करने वाली और मुत्तकियों के लिए सराफा हिदायत और नसीहत बन कर आई थी (सुरे-अल-अनआम)



 और हम इसी तरह निशानियां तफसील के साथ बयान करते हैं ताकि सीधा रास्ता भी वाजे हो जाए और ताकि मुजरिमों का रास्ता भी खुलकर सामने आ जाए (सुरे-अल-अनफाल)


 ऐ पैगम्बर इन से कहो कि तुम अल्लाह(Allah)के सिवा जिन झूठे खुदाओ को पुकारते हो मुझे उनकी इबादत करने से मना किया गया है कहो कि मैं तुम्हारी ख्वाहिशात के पीछे नहीं चल सकता अगर मैं ऐसा करूंगा तो गुमराह हो जा उगा और मेरा शुमार हिदायत याफ्ता लोगों में नहीं होता (सुरे-अल-अनफाल)


ये अल्लाह(Allah)की दी हुई हिदायत है जिसके जरिए वह अपने बंदों में से जिसको चाहता है राहे रास्त तक पहुंचा देता है और अगर वह शिर्क करने लगते तो उनके सारे नेक आमाल गारद हो जाते  (सुरे-अल-अनफाल)


यह लोग जिन का जिक्र ऊपर हुआ वह थे जिनको अल्लाह(Allah)ने मुखालीफिन के रवैय पर सब्र करने की हिदायत की थी लिहाजा ऐ पैगम्बर तुम भी उन्हीं के रास्ते पर चलो मुखालिफीन से कह दो कि मैं तुमसे इस दावत पर कोई उजरत नहीं मांगता यह तो दुनिया जहान के सब लोगों के लिए एक नसीहत है और बस  (सुरे-अल-अनफाल) 



और जब उनसे कहा जाता है कि अल्लाह(Allah)ने जो कलाम नाझील किया है उसकी तरफ और रसूल की तरफ आओ तो वह कहते हैं कि हमने जिस दिन पर अपने बाप दादों को पाया है हमारे लिए वही काफी है भला अगर उनके बाप दादा ऐसे हो कि ना उनके पास कोई इल्म हो और ना कोई हिदायत तो क्या फिर भी यह उन्हीं के पीछे चलते रहेंगे (सुरे-अल-अनफाल) 


हकीकत यह है कि वह लोग बड़े खसारे में हैं जिन्होंने अपनी औलाद को किसि इल्मी वजह के बगैर महेज हमाकत से क़त्ल किया है और अल्लाह (Allah) ने जो रिज्क उनको दिया था उसे अल्लाह (Allah) पर भुगतान बांधकर कर हराम कर लिया है वह बुरी तरह गुमराह हो गए है और कभी हिदायत पर आए ही नहीं  (सूरे अत तौबा )



तुम में से एक गिरोह को तो अल्लाह (Allah) ने हिदायत तक पहुंचा दिया है और एक गिरोह वह है जिस पर गुमराही मुसल्लत हो गई है क्योंकि उन लोगों ने अल्लाह (Allah) के बजाय शैतानों को दोस्त बना लिया है और समझ ये रहे हैं के  वह सीधे रास्ते पर हैं  (सूरे अत तौबा)


और यह इस्लाम तुम्हारे परवरदिगार(parvardigar)का बताया हुआ सीधा सीधा रास्ता है जो लोग नसीहत कबुल करते हैं उनके लिए हमने इस रास्ते की निशानियां खोल खोल कर बयान कर दी हैं (सूरे अत तौबा)



और ऐ पैगम्बर इन से ये भी कहाे के यह मेरा सीधा सीधा रास्ता है लिहाजा इसके पीछे चलो और दूसरे रास्तों के पीछे ना पढ़ो वरना वह तुम्हें अल्लाह (Allah) के रास्ते से अलग कर देंगे लोगों यह बातें हैं जिनके अल्लाह (Allah) ने ताकित की है ताकि तुम मुत्तक़ी बनो  (सूरे अत तौबा)



मैं अपनी निशानीयों से उन लोगों को बर्गीस्ता रखूंगा जो जमीन में नाहक तकब्बुर करते हैं और वह अगर हर तरह की निशानियां देखले उन पर ईमान नहीं लाएंगे और अगर उन्हें हिदायत का सीधा रास्ता नजर आए तो उसको अपना तरीका नहीं बनाएंगे और अगर गुमराही का रास्ता नजर आ जाए तो उसको अपना तरीका बना लेंगे यह सब कुछ इसलिए है कि उन्होंने हमारी निशानीयोंको झुटआया और उनसे बिल्कुल बेपरवाह हो गए (सुरे-यूनुस )



और मूसा की कौम ने उनके जाने के बाद अपने जेवरों से एक बछड़ा बना लिया बछड़ा क्या था एक बेजान जिस्म जिससे बैल जैसी आवाज निकलती थी भला क्या उन्होंने इतना भी नहीं देखा कि वह ना उनसे बात कर सकता है और ना उन्हें कोई रास्ता बता सकता है मगर उसे माबूद बना लिया और खुद अपनी जानों के लिए जालिम बन बैठे (सुरे-यूनुस )








 







 





 


 




पढ़ने के फायदे
किसी को भी, जिसे यह पता नहीं है कि किसी विशेष कार्य के बारे में कैसे पता चलता है या एक निश्चित कार्य के लिए योजनाएँ बनाने में असमर्थ है, यह कहना चाहिए कि यह नाम मग़रिब और ईशा के बीच 1,000 बार है।  योजना और योजना जल्द ही उसके लिए या तो एक सपने के माध्यम से या वृत्ति द्वारा स्पष्ट हो जाएगी।  सभी दुर्घटनाओं के खिलाफ वित्तीय प्रगति और सुरक्षा के लिए, इसे दैनिक पढ़ना चाहिए।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें