अल-हादी नाम का तरजुमा, तफसिर और फायदे हिन्दी में AL HADI

अल हादी(Al-Hadi)
अल हादी(Al-Hadi)


अल्लाह अल हादी है, वह जो अपने विश्वासियों को मार्गदर्शन देता है।  उनका मार्गदर्शन लाभदायक है और जो कुछ भी हानिकारक हो सकता है, उससे उन्हें बचाता है।  वह वह है जिसने मानव जाति को यह सुनिश्चित करने के लिए अपने संदेश के उद्धारकर्ता के रूप में भविष्यवक्ताओं को भेजा कि वह सही मार्ग पर निर्देशित है।

 कुरान और हदीस से उल्लेख

वह जो लगातार सही रास्ता दिखाता है।  जो दयालुता से मार्गदर्शन करता है।  वह जो मानव जाति का मार्गदर्शन करने के लिए पैगंबर और दूत भेजता है।  वह जो दिलों को ईश्वरीय सार का ज्ञान देता है।  वह जो सभी मार्गदर्शन का स्रोत है।  जब तक लक्ष्य प्राप्त नहीं हो जाता, तब तक जो ईमानदारी से मार्गदर्शन करता रहता है।

ऐ अल्लाह(ALLAH) हम तेरी ही इबादत करते हैं और तुझी से मदद मांगते हैं 


हमें सीधे रास्ते की हिदायत अता फरमा (सुर-ए-फ़ातेहा)



यह वह लोग है जिन्होंने हिदायत के बदले गुमराही खरीद ली है लिहाजा उनकी तिजारत में ना नफा हुआ और ना उन्हें सही रास्ता नसीब हुआ (सुर-ए-बक़रह) 

अब ये बेवकूफ लोग कहेंगे के आखिर वह क्या चीज है जिस में इन मुसलमानों को उस क़िब्ले की तरफ रुख फेरने को आमादा कर दीया जिसके तरफ वह मुंह करते चले आ रहे थे आप कह दीजिए मगरिब और मशरिख सब अल्लाह(Allah) ही की है और वह जिसको चाहता है सीधी राह की हिदायत कर देता है (सुरे-अल-इमरान)


रमजान का महीना वह है जिसमें कुरआन नाज़िल किया गया जो लोगों के लिए सराफा हिदायत है और ऐसे रोशन निशानियोंका का हामिल है जो सही रास्ता दिखाती है और हक़्क़ और बातील के दरमियान फैसला कर देती है लिहाजा तुम में से जो शख्स भी ये महीना पाए वह इस में जरूर रोजा रखे अगर कोई शख्स बीमार हो या फिर सफर में हो तो वह दूसरे दिनों में उतने ही तादात में पूरी कर ले अल्लाह(Allah) तुम्हारे साथ आसानी का मामला करना चाहता है और तुम्हारे लिए मुश्किल पैदा करना नहीं चाहता ताकि तुम रोजों की गिनती पूरी करलो और अल्लाह(Allah) ने तुम्हे जो राह दिखाई है उसपर अल्लाह(Allah) की तदबीर कहो ताके तुम शुक्रगुजार बनो 

(सुरे-अल-इमरान)



दीन के मामले में कोई जबरदस्ती नहीं है हिदायत का रास्ता गुमराही से मुमताज होकर वाजे हो चुका इसके बाद जो शख्स जैसा ताहूत का इनकार करके अल्लाह (Allah)पर ईमान ले आएगा उसने एक मजबूत कुंडा थाम लिया जिसके टूटने का कोई इनकार नहीं और अल्लाह (Allah)खूब सुनने वाला सब कुछ जानने वाला है (सुरे-अन निसा) 



फिर तुम्हें क्या हो गया कि मुनाफिकिनके बारे में तुम दो गिरोह बन गए हालांकि उन्होंने जैसे काम किए हैं उनकी बिना पर अल्लाह(Allah) ने उनको औधा कर दिया है क्या तुम यह चाहते हो के ऐसे शख्स को हिदायत पर लाओ जिसे अल्लाह(Allah) उसकी ख्वाहिश के मुताबिक गुमराही में मुब्तला कर चुका हो और जिसे अल्लाह(Allah) गुमराही में मुब्तला कर दे उसके लिए तुम हरगिस कभी कोई भलाई का रास्ता नहीं पा सकते  (सुरे-अल-माइदा) 


बेशक अल्लाह (Allah)मेरा भी परवरदिगार है और तुम्हारा भी परवरदिगार यही सीधा रास्ता है तो सिर्फ उसी की इबारत करो  (सुरे-अन निसा)



 ये कुफ्र और ईमान(iman) के दरमियान डामाडोल है ना पूरे तौर पर इन मुसलमानों की तरफ है ना उन काफिरों की तरफ और जिसे अल्लाह(Allah) गुमराही में डाल दे तुम्हें उसके लिए हिदायत पर आने का कोई रास्ता हरगिज़ नहीं मिल सकता

(सुरे-अल-माइदा) 



और जो शख्स अपने सामने हिदायत वाजे होने के बाद भी रसूल की मुखालीफत करें और मोमिनो के रास्ते के सिवा किसी और रास्ते की पैरवी करें उसको हम उसी राह के हवाले कर देंगे जो उसने खुद अपनाई है और उसे दोजख में झोकेंगे और वह बहुत बुरा ठिकाना है (सुरे-अल-माइदा) 



 जिस के जरिए अल्लाह (Allah) उन लोगों को सलामती की राहे दिखाता है जो उसकी खुशनुदी के तालिब हैं और उन्हें अपने हुकुम से अंधेरीओ से निकालकर रोशनी की तरफ लाता है और उन्हें सीधे रास्ते की हिदायत अता फरमाता है (सुरे-अल-अनआम)  



ये अल्लाह(Allah)की दी हुई हिदायत है जिसके जरिए वह अपने बंदों में से जिसको चाहता है राहे रास्त तक पहुंचा देता है और अगर वह शिर्क करने लगते तो उनके सारे नेक आमाल गारद हो जाते (सुरे-अल-अनफाल)


यह लोग जिन का जिक्र ऊपर हुआ वह थे जिनको अल्लाह(Allah)ने मुखालीफिन के रवैय पर सब्र करने की हिदायत की थी लिहाजा ऐ पैगम्बर तुम भी उन्हीं के रास्ते पर चलो मुखालिफीन से कह दो कि मैं तुमसे इस दावत पर कोई उजरत नहीं मांगता यह तो दुनिया जहान के सब लोगों के लिए एक नसीहत है और बस (सुरे-अल-अनफाल)



तुम में से एक गिरोह को तो अल्लाह (Allah) ने हिदायत तक पहुंचा दिया है और एक गिरोह वह है जिस पर गुमराही मुसल्लत हो गई है क्योंकि उन लोगों ने अल्लाह (Allah) के बजाय शैतानों को दोस्त बना लिया है और समझ ये रहे हैं के  वह सीधे रास्ते पर हैं (सुरे-अत तौब्बा )



मैं अपनी निशानीयों से उन लोगों को बर्गीस्ता रखूंगा जो जमीन में नाहक तकब्बुर करते हैं और वह अगर हर तरह की निशानियां देखले उन पर ईमान नहीं लाएंगे और अगर उन्हें हिदायत का सीधा रास्ता नजर आए तो उसको अपना तरीका नहीं बनाएंगे और अगर गुमराही का रास्ता नजर आ जाए तो उसको अपना तरीका बना लेंगे यह सब कुछ इसलिए है कि उन्होंने हमारी निशानीयोंको झुटआया और उनसे बिल्कुल बेपरवाह हो गए (सुरे-यूनुस )


जिसको अल्लाह(Allah)गुमराह कर दे उसको कोई हिदायत नहीं दे सकता और ऐसे लोगों को अल्लाह(Allah)बे यारों मददगार छोड़ देता है कि वह अपनी सरकशी में भटकते फिरे (सुरे-यूनुस )






 

 

 

 



 






 पढ़ने के फायदे
 जो कोई भी दोनों हाथों (दुआ के रूप में) को उठाता है, वह स्वर्ग की ओर टकटकी लगाए रखता है और इस इस्म को कई बार पढ़ता है और दोनों हाथों को अपने चेहरे पर रखता है (जैसे कि दुआ पूरी करते समय), अल्लाह उसे पूरा मार्गदर्शन और सहयोगी प्रदान करेगा  उसके साथ धर्मपरायण और धर्मपरायण - इंशाअल्लाह।

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