अर-रउफ का तरजुमा, तफसिर और फायदे हिन्दी में

अर-रउफ(Ar-Rouf)
अर-रउफ(Ar-Rouf)


अल्लाह अर-रउफ है, वह जो बेहद दयालु है।  वह एक है जो दया करता है, जो भी अपने प्राणियों के बीच होगा, उसे समर्थन देगा।  अल्लाह जो भी फैसला करता है वह सही फैसले के साथ किया जाता है और वह कभी भी कठोर या अन्यायपूर्ण नहीं होता है।

 कुरान और हदीस से उल्लेख

  फिर आदम ने अपने परवरदिगार से तौबा के कुछ अल्फ़ाज़ सिख  लिए जिन के जरिए उन्होंने तोबा मांगी चुनांचे  अल्लाह(ALLAH) ने उनकी तोबा कबुल करली बेशक वह बहुत माफ़ करने वाला है बड़ा मेहरबान है

(सुर ए अल बक़रह)


फिर अगर वो बाज़ आ जाए तो बेशक अल्लाह(Allah) बहुत बख्शने वाला

बड़ा मेहरबान है

 (सूरे अल ईमरान) 

 



और दूसरी तरफ लोगों में वह शख्स भी है जो अल्लाह(Allah) के ख़ुशनूदी के खातिर अपनी जान का सौदा कर लेता है और अल्लाह(Allah) ऐसे बंदों पर बड़ा मेहरबान है

 (सूरे अल ईमरान) 


और मुसलमानों इसी तरह तो हमने तुमको एक मौतदर उम्म्त बनाया है ताकि तुम दूसरे

लोगों पर गवाह बनो  और रसूल तुम पर गवाह बने और जिस क़िब्ले पर तुम पहले कारबन्द

थे उस पर तुम्हे किसी और वजह से नहीं बल्कि सिर्फ यह देखने के लिए मुकर्रर किया था के

कौन रसूल का हुक्म मानता है और कौन और कौन उलटे पाऊं   फिर जाते है और इसमें कोई

शक नहीं की यह बात बड़ी मुश्किल लेकिन उन लोगों के लिए जरा भी मुश्किल न हुई जिनको

अल्लाह(Allah) ने हिदायत दे दी थी और अल्लाह(Allah) ताला ऐसा नहीं कि तुम्हारे ईमान को

जाया करदे दर हकीकत अल्लाह(Allah) लोगो पर बहुत शफकक्कत करने वाला बड़ा मेहरबान है

 (सूरे अल ईमरान) 

 



तुम्हारा एकही खुदा है उसके सिवा तुम्हारा कोई खुदा नहीं जो सब पर

मेहरबान बहुत मेहरबान है बेशक़ आसमानो और जमीन के तसरीख में

रात -दिन के लगातार आने जाने में उन कश्तीओ में जो लोगों के

फायदे का सामान लेकर समुंदर में तैरती है उस पानी में जो अल्लाह(Allah) ने आसमान से उतारा और इसके जरिए जमीन को उसके मुर्दा

हो जाने के बाद जिंदगी बखशी और इसमें हर किस्म के जानवर फैला दिए

और हवाओं की गर्दिश में और उन बादलों में जो आसमान और जमीन के

दरमियान दावेदार बनकर काम में लगे हुए हैं उन लोगों के लिए निशानियांही

निशानियां है जो अपनी आंखों से काम लेती है

 (सूरे अल ईमरान) 


 हां अगर किसी शख्स को यह अंदेशा हो कि कोई वसीयत करने वाला

तरफदारी या गुनाह ऐतराफ़ कर रहा है और मसले का आदमीयो के

दरमियान सुलह करा दे तो उस पर कोई गुनाह नहीं बेशक अल्लाह(Allah) ताला बहुत बख्श ने वाला बड़ा मेहरबान है

 (सूरे अल ईमरान) 


और दूसरी तरफ लोगों में वह शख्स भी है जो अल्लाह(Allah) के ख़ुशनूदी

के खातिर अपनी जान का सौदा कर लेता है और अल्लाह(Allah)

ऐसे बंदों पर बड़ा मेहरबान है

 (सूरे अल ईमरान) 


उसने तो तुम्हारे लिए बस मुर्दार जानवर खून और सूअर हराम किया है निज

वह जानवर जिस पर अल्लाह (Allah) के सिवा किसी और का नाम पुकारा

गया हो हा अगर कोई शख्स इनतेहायी मजबूरी के हालत में हो और इन चीजों

में से कुछ खा लें जबकि उसका मकसद ना लज्जत हासिल करना हो और

ना वह जरूरत की हद से आगे बढ़े तो फिर उसपर कोई गुनाह नहीं यक़ीनन अल्लाह(Allah) बहुत बख्शने वाला बहुत मेहरबान है

 (सूरे अल ईमरान)


आसमानो और जमीन में जो कुछ है अल्लाह (Allah) ही का है वह जिसको को चाहता है माफ कर देता है और जिसको चाहता है आजाब देता है और अल्लाह (Allah) बहुत बख्शने वाला बड़ा मेहरबान है

 (सुरे-अल-माइदा)  


और तुम में से जो दो मर्द बत्कारिका इख्तिखाफ करे उनको अज़ीयत दो फिर अगर वह तौबा करके अपनी इस्लाह कर ले तो उनसे दरगुजर करो बेशक अल्लाह (Allah) बहुत तौबा क़बूल करने वाला बड़ा मेहरबान है

 (सुरे-अल-माइदा)  



ऐ ईमान(iman) वालों आपस में एक दूसरे के माल नाहक तरीके से ना खाओ इल्ला ये कि कोई

तीजारत बह्मी रजामंदी से वजूद में आई हो तो वह जायज है और अपने आप

को क़त्ल न करो यकिन जानो अल्लाह(Allah) तुम पर बहुत मेहरबान है

 (सुरे-अल-माइदा)  



और जो शख्स अल्लाह(Allah) के रास्ते में हीजरत करेगा वह जमीन में बहुत जगह और बड़ी गुंजाइश पाएगा

और जो शख्स अपने घर से अल्लाह(Allah)और उसके रसूल की तरफ हीजरत करने के लिए निकले फिर उसे मौत आ पकड़े

तब भी उसका सवाब अल्लाह(Allah) के पास तय हो चुका और अल्लाह(Allah) बहुत बख्शने वाला बड़ा मेहरबान है

 (सुरे-अल-माइदा)  




और अल्लाह(Allah) से मगफिरत तलब करो बेशक अल्लाह(Allah) बहुत बख्शने वाला बड़ा मेहरबान है

 (सुरे-अल-माइदा)  




और जो शख्स कोई बुरा काम कर गुजरे या अपनी जान पर जुल्म कर बैठे फिर अल्लाह(Allah) से माफी मांग ले तो वह अल्लाह(Allah) को बहुत बखशने वाला बड़ा मेहरबान पाएगा 

 (सुरे-अल-माइदा)  



और हमने कोई रसूल इसके सिवा किसी और मकसद के लिए नहीं भेजा के अल्लाह(Allah) के हुक्म से उसकी इताअत की जाए और जब इन लोगों ने अपनी जानो पर जुल्म

किया था अगर उस वक्त तुम्हारे पास आकर अल्लाह(Allah) से मगफिरत मांगते हैं और रसूल भी उनके लिए मगफिरत की

दुआ करते तो यह अल्लाह(Allah) को बहुत माफ करने वाला बड़ा मेहरबान पाते

 (सुरे-अल-माइदा)



और जो लोग अल्लाह (Allah) पर और उसके रसूलों पर ईमान लाए और उनमें से किसी के दरमियान फर्क ना करें तो अल्लाह (Allah) ऐसे लोगों को अज्र आता करेगा और अल्लाह (Allah) बहुत माफ करने वाला बड़ा मेहरबान है

(सूरे अल अनआम)


तुम पर मुर्दार जानवर और खून और सूअर का गोश्त और वह जानवर

हराम कर दिया गया है जिस पर अल्लाह (Allah) के सिवा किसी और

का नाम पुकारा गया हो और वह जो गला घुटने से मरा हो और जिसे चोट

मारकर हल्लाक किया गया हो और जो ऊपर से गिर कर मरा हो और जिसे

किसी जानवर ने सींग मार कर हलाक किया हो और जिसे किसी दरिंदे ने खा

लिया हो इल्ला ये कि तुम उसके मरने से पहले उसको जिब्हा कर चुके हो और

वह जानवर भी हराम है जिसे भूतों की क़ुर्बानगाह पर ज़िब्हा किया गया हो और

यह बात भी तुम्हारे लिए हराम है के यह तुम जुए के तीरों से गोश्त वगैरह तकसीम

करो यह सारी बातें सख्त गुनाह की हैं आज काफिर लोग तुम्हारे दिन के मगलूम होने से

ना उम्मीद हो गए हैं लिहाजा उनसे मत डरो और मेरा डर दिल में रखो आज मैंने तुम्हारे

लिए तुम्हारा दिन मुकम्मल कर दिया तुम पर अपनी नियामत पूरी कर दी और तुम्हारे लिए

इसलाम को दिन के तौर पर हमेशा के लिए पसंद कर लिया लिहाजा इस दिन के एहकाम

की पूरी पाबंदी करो हां जो शख्स शदीद भूख के आलम में बिल्कुल मजबूर हो जाए और उस

मजबूरी में इन हराम चीजों में से कुछ खा ले बशर्ते के गुनाह रगबत की बिना पर ऐसा ना किया

हो तो बेशक अल्लाह (Allah)बहुत माफ करने वाला बड़ा मेहरबान है (सूरे अल अनआम)



हां वह लोग इससे मुस्तजना है जो तुम्हारे उन को काबू में लाने से पहले ही तौबा कर लें ऐसी सूरत

में यह ध्यान  रखो कि अल्लाह (Allah) बहुत बख्शने वाला बड़ा मेहरबान है

(सूरे अल अनआम)



क्या फिर भी ये लोग माफी के लिए अल्लाह (Allah) की तरफ रूजू नहीं करेंगे और उस से मगफिरत नहीं मांगेंगे हालांकि अल्लाह (Allah) बहुत बख्शने वाला बड़ा मेहरबान है

(सूरे अल अनआम)


फिर जो शख्स अपनी जालिमाना कार्रवाई से तौबा कर ले और मामलात दुरुस्त कर ले

तो अल्लाह (Allah)उसकी तौबा कुबूल कर लेगा बेशक अल्लाह (Allah) ताला बहुत बक्शने वाला बड़ा मेहरबान है

(सूरे अल अनआम)


यह बात भी ध्यान रखो के अल्लाह(Allah)अजाब देने में सख्त है और यह भी कि अल्लाह(Allah)बहुत बख्श ने वाला बड़ा मेहरबान है (सूरे अल अनफाल )


और जब तुम्हारे पास वह लोग आए जो हमारी आयतों पर ईमान(iman) रखते हैं तो उनसे कहो

सलामती हो तुम पर तुम्हारे परवरदिगार ने अपने ऊपर रहमत का यह मामला करना लाजिम कर लिया है कि अगर तुम में से कोई नादानी

से कोई बुरा काम कर बैठे फिर उसके बाद तौबा कर लें और अपनी इस्लाह कर ले तो अल्लाह(Allah)

बहुत बख्शने  वाला बड़ा मेहरबान है


ऐ पैगम्बर इन से कहो कि जो वही मुझ पर नाझील की गई है उसमें तो मैं कोई ऐसी चीज नहीं पाता जिसका

खाना कीसि खाने वाले के लिए हराम हो इल्ला ये कि वह मुर्दार हो या बहता हुआ खून हो या सूअर का गोश्त

हो क्योंकि वह नापाक है या जो ऐसा गुनाह का जानवर हो जिस पर अल्लाह के सिवा किसी और का नाम पुकारा

गया हो हां जो शख्स इन चीजों में से किसी के खाने पर इनतेहाई मजबूर हो जाए जबकि वह ना लज्जत हासिल करने

के गरज से ऐसा कर रहा हो और ना जरूरत की हद से आगे बढ़े तो बेशक अल्लाह बहुत बख्शने वाला बड़ा मेहरबान है 

(सुरे-अत -तौबा)  



और जो लोग बुरे काम कर गुजरे फिर उनके बाद तौबा करले और इमान ले आए तो तुम्हारा रब उस तौबा के बाद उनके लिए बहुत बख्शने वाला बड़ा मेहरबान है (सुरे-अत -तौबा) 

 




और याद करो वह वक्त जब तुम्हारे रब ने ऐलान किया कि वह उन पर कयामत के दिन तक कोई ना कोई ऐसा आजाब मुसल्लत करता रहेगा जो उनको बुरी बुरी तकलीफे पहुंचाएगा बेशक तुम्हारा रब जल्द ही सजा देने वाला भी है और यकीनन वह बहुत बख्शने वाला बड़ा मेहरबान भी है

 (सूरे यूनुस) 



और याद करो वह वक्त जब तुम्हारे रब ने ऐलान किया कि वह उन पर

कयामत के दिन तक कोई ना कोई ऐसा आजाब मुसल्लत करता रहेगा

जो उनको बुरी बुरी तकलीफे पहुंचाएगा बेशक तुम्हारा रब जल्द ही सजा

देने वाला भी है और यकीनन वह बहुत बख्शने वाला बड़ा मेहरबान भी है

 (सूरे यूनुस)


लिहाजा अब तुमने जो माल गनीमत में हासिल किया है उसे पाकीजा हलाल माल के तौर पर खाओ और अल्लाह से डरते रहो यकीनन अल्लाह बहुत बखशने वाला बड़ा मेहरबान है

 (सुरे- हुद) 


ऐ नबी तुम लोगों के हाथों में जो कैदी हैं और जिन्होंने मुसलमान होने का इरादा जाहिर किया है उनसे कह दो कि अगर अल्लाह तुम्हारे दिलों में भलाई देखेगा तो जो माल तुमसे फिदीए में लिया गया है उससे बेहतर तुम्हें दे देगा और तुम्हारी बख्शीश कर देगा और अल्लाह बहुत बख्शने वाला बड़ा मेहरबान है

(सुरे- हुद)


चुनांचे उन्होंने अल्लाह(Allah) के हुक्म से उन जालूद के साथियों को शिकस्त दी और दाऊद ने जालूद को क़त्ल किया और अल्लाह(Allah) ने उसको सल्तनत और दानाई आता की और जो इल्म चाहा उसको अता फ़रमाया अगर अल्लाह(Allah) लोगों का एक दूसरे के जरिए दीफा ना करें तो जमीन में फसाद फैल जाए लेकिन अल्लाह(Allah) तमाम जहानों पर बड़ा रहेम फरमाने वाला है (सूरे अल इमरान)




क्या तुम्हे उन लोगों का हाल मालूम नहीं हुआ जो मौत से बचने के लिए अपने घरों से निकल आए थे और वह हजारों की तादाद में  थे चुनांचे अल्लाह(Allah) ने उनसे कहा मर जाओ फिर उन्हें जिंदा किया हकीकत यह है कि अल्लाह(Allah) लोगों पर बहुत रहेम फरमा ने वाला है लेकिन अक्सर लोग शुक्र अदा नहीं करते

(सूरे अल इमरान)


शैतान तुम्हें मुफलिसी से डराता है और तुम्हें बेहयाई का हुक्म देता है और अल्लाह (Allah)तुमसे अपनी मगफिरत और

रहेम का वादा करता है और अल्लाह (Allah)बड़ी वुसत वाला हर बात जानने वाला है

(सुरे-अन निसा)


(Allah) ने तुम्हारी पसंदीदा चीज तुम्हें दिखाई तो तुमने अपनी अमीर का कहना नहीं माना तुम में से कुछ लोग वह थे जो दुनिया चाहते थे और कुछ ये लोग थे जो आख़िरत चाहते थे फिर अल्लाह (Allah) ने उनसे तुम्हारा रुख फेर दिया ताकि तुम्हे आजमाए अलबत्ता अब वह तुम्हें माफ कर चुका है और अल्लाह (Allah) मोमिनो पर बड़ा रहेम कर ने वाला है

(सुरे-अन निसा)



फिर आदम ने अपने परवरदिगार से तौबा के कुछ अल्फ़ाज़ सिख  लिए जिन के जरिए उन्होंने तोबा मांगी चुनांचे  अल्लाह(ALLAH) ने उनकी तोबा कबुल करली बेशक वह बहुत माफ़ करने वाला है बड़ा मेहरबान है

(सुर ए अल बक़रह)


फिर अगर वो बाज़ आ जाए तो बेशक अल्लाह(Allah) बहुत बख्शने वाला बड़ा मेहरबान है

 (सूरे अल ईमरान) 

 



और दूसरी तरफ लोगों में वह शख्स भी है जो अल्लाह(Allah) के ख़ुशनूदी के खातिर अपनी जान का सौदा कर लेता है और अल्लाह(Allah) ऐसे बंदों पर बड़ा मेहरबान है

 (सूरे अल ईमरान) 


और मुसलमानों इसी तरह तो हमने तुमको एक मौतदर उम्म्त बनाया है ताकि तुम दूसरे लोगों पर गवाह बनो  और रसूल तुम पर गवाह बने और जिस क़िब्ले पर तुम पहले कारबन्द थे उस पर तुम्हे किसी और वजह से नहीं बल्कि सिर्फ यह देखने के लिए मुकर्रर किया था के कौन रसूल का हुक्म मानता है और कौन और कौन उलटे पाऊं   फिर जाते है और इसमें कोई शक नहीं की यह बात बड़ी मुश्किल लेकिन उन लोगों के लिए जरा भी मुश्किल न हुई जिनको अल्लाह(Allah) ने हिदायत दे दी थी और अल्लाह(Allah) ताला ऐसा नहीं कि तुम्हारे ईमान को जाया करदे दर हकीकत अल्लाह(Allah) लोगो पर बहुत शफकक्कत करने वाला बड़ा मेहरबान है

 (सूरे अल ईमरान) 

 



तुम्हारा एकही खुदा है उसके सिवा तुम्हारा कोई खुदा नहीं जो सब पर मेहरबान बहुत मेहरबान है बेशक आसमानो और जमीन के तसरीख में रात -दिन के लगातार आने जाने में उन कश्तीओ में जो लोगों के फायदे का सामान लेकर समुंदर में तैरती है उस पानी में जो अल्लाह(Allah) ने आसमान से उतारा और इसके जरिए जमीन को उसके मुर्दा हो जाने के बाद जिंदगी बखशी और इसमें हर किस्म के जानवर फैला दिए और हवाओं की गर्दिश में और उन बादलों में जो आसमान और जमीन के दरमियान दावेदार बनकर काम में लगे हुए हैं उन लोगों के लिए निशानियांही निशानियां है जो अपनी आंखों से काम लेती है

 (सूरे अल ईमरान) 


 हां अगर किसी शख्स को यह अंदेशा हो कि कोई वसीयत करने वाला तरफदारी या गुनाह ऐतराफ़ कर रहा है और मसले का आदमीयो के दरमियान सुलह करा दे तो उस पर कोई गुनाह नहीं बेशक अल्लाह(Allah) ताला बहुत बख्श ने वाला बड़ा मेहरबान है

 (सूरे अल ईमरान) 


और दूसरी तरफ लोगों में वह शख्स भी है जो अल्लाह(Allah) के ख़ुशनूदी के खातिर अपनी जान का सौदा कर लेता है और अल्लाह(Allah) ऐसे बंदों पर बड़ा मेहरबान है

 (सूरे अल ईमरान) 


उसने तो तुम्हारे लिए बस मुर्दार जानवर खून और सूअर हराम किया है निज वह जानवर जिस पर अल्लाह(Allah) के सिवा किसी और का नाम पुकारा गया हो हा अगर कोई शख्स इनतेहायी मजबूरी के हालत में हो और इन चीजों में से कुछ खा लें जबकि उसका मकसद ना लज्जत हासिल करना हो और ना वह जरूरत की हद से आगे बढ़े तो फिर उसपर कोई गुनाह नहीं यक़ीनन अल्लाह(Allah) बहुत बख्शने वाला बहुत मेहरबान है

 (सूरे अल ईमरान)


आसमानो और जमीन में जो कुछ है अल्लाह (Allah) ही का है वह जिसको को चाहता है माफ कर देता है और जिसको चाहता है आजाब देता है और अल्लाह (Allah) बहुत बख्शने वाला बड़ा मेहरबान है

 (सुरे-अल-माइदा)  


और तुम में से जो दो मर्द बत्कारिका इख्तिखाफ करे उनको अज़ीयत दो फिर अगर वह तौबा करके अपनी इस्लाह कर ले तो उनसे दरगुजर करो बेशक अल्लाह (Allah) बहुत तौबा क़बूल करने वाला बड़ा मेहरबान है

 (सुरे-अल-माइदा)  



ऐ ईमान(iman) वालों आपस में एक दूसरे के माल नाहक तरीके से ना खाओ इल्ला ये कि कोई तीजारत बह्मी रजामंदी से वजूद में आई हो तो वह जायज है और अपने आप को क़त्ल न करो यकिन जानो अल्लाह(Allah) तुम पर बहुत मेहरबान है

 (सुरे-अल-माइदा)  



और जो शख्स अल्लाह(Allah) के रास्ते में हीजरत करेगा वह जमीन में बहुत जगह और बड़ी गुंजाइश पाएगा और जो शख्स अपने घर से अल्लाह(Allah) और उसके रसूल की तरफ हीजरत करने के लिए निकले फिर उसे मौत आ पकड़े तब भी उसका सवाब अल्लाह(Allah) के पास तय हो चुका और अल्लाह(Allah) बहुत बख्शने वाला बड़ा मेहरबान है

 (सुरे-अल-माइदा)  




और अल्लाह(Allah) से मगफिरत तलब करो बेशक अल्लाह(Allah) बहुत बख्शने वाला बड़ा मेहरबान है

 (सुरे-अल-माइदा)  




और जो शख्स कोई बुरा काम कर गुजरे या अपनी जान पर जुल्म कर बैठे फिर अल्लाह(Allah) से माफी मांग ले तो वह अल्लाह(Allah) को बहुत बखशने वाला बड़ा मेहरबान पाएगा 

 (सुरे-अल-माइदा)  



और हमने कोई रसूल इसके सिवा किसी और मकसद के लिए नहीं भेजा के अल्लाह(Allah) के हुक्म से उसकी इताअत की जाए और जब इन लोगों ने अपनी जानो पर जुल्म किया था अगर उस वक्त तुम्हारे पास आकर अल्लाह(Allah) से मगफिरत मांगते हैं और रसूल भी उनके लिए मगफिरत की दुआ करते तो यह अल्लाह(Allah) को बहुत माफ करने वाला बड़ा मेहरबान पाते

 (सुरे-अल-माइदा)



और जो लोग अल्लाह (Allah) पर और उसके रसूलों पर ईमान लाए और उनमें से किसी के दरमियान फर्क ना करें तो अल्लाह (Allah) ऐसे लोगों को अज्र आता करेगा और अल्लाह (Allah) बहुत माफ करने वाला बड़ा मेहरबान है

(सूरे अल अनआम)


तुम पर मुर्दार जानवर और खून और सूअर का गोश्त और वह जानवर हराम कर दिया गया है जिस पर अल्लाह (Allah) के सिवा किसी और का नाम पुकारा गया हो और वह जो गला घुटने से मरा हो और जिसे चोट मारकर हल्लाक किया गया हो और जो ऊपर से गिर कर मरा हो और जिसे किसी जानवर ने सींग मार कर हलाक किया हो और जिसे किसी दरिंदे ने खा लिया हो इल्ला ये कि तुम उसके मरने से पहले उसको जिब्हा कर चुके हो और वह जानवर भी हराम है जिसे भूतों की क़ुर्बानगाह पर ज़िब्हा किया गया हो और यह बात भी तुम्हारे लिए हराम है के यह तुम जुए के तीरों से गोश्त वगैरह तकसीम करो यह सारी बातें सख्त गुनाह की हैं आज काफिर लोग तुम्हारे दिन के मगलूम होने से ना उम्मीद हो गए हैं लिहाजा उनसे मत डरो और मेरा डर दिल में रखो आज मैंने तुम्हारे लिए तुम्हारा दिन मुकम्मल कर दिया तुम पर अपनी नियामत पूरी कर दी और तुम्हारे लिए इसलाम को दिन के तौर पर हमेशा के लिए पसंद कर लिया लिहाजा इस दिन के एहकाम की पूरी पाबंदी करो हां जो शख्स शदीद भूख के आलम में बिल्कुल मजबूर हो जाए और उस मजबूरी में इन हराम चीजों में से कुछ खा ले बशर्ते के गुनाह रगबत की बिना पर ऐसा ना किया हो तो बेशक अल्लाह (Allah)बहुत माफ करने वाला बड़ा मेहरबान है (सूरे अल अनआम)



हां वह लोग इससे मुस्तजना है जो तुम्हारे उन को काबू में लाने से पहले ही तौबा कर लें ऐसी सूरत में यह ध्यान  रखो कि अल्लाह (Allah) बहुत बख्शने वाला बड़ा मेहरबान है

(सूरे अल अनआम)



क्या फिर भी ये लोग माफी के लिए अल्लाह (Allah) की तरफ रूजू नहीं करेंगे और उस से मगफिरत नहीं मांगेंगे हालांकि अल्लाह (Allah) बहुत बख्शने वाला बड़ा मेहरबान है

(सूरे अल अनआम)


फिर जो शख्स अपनी जालिमाना कार्रवाई से तौबा कर ले और मामलात दुरुस्त कर ले तो अल्लाह (Allah) उसकी तौबा कुबूल कर लेगा बेशक अल्लाह (Allah) ताला बहुत बक्शने वाला बड़ा मेहरबान है

(सूरे अल अनआम)


यह बात भी ध्यान रखो के अल्लाह(Allah)अजाब देने में सख्त है और यह भी कि अल्लाह(Allah)बहुत बख्श ने वाला बड़ा मेहरबान है (सूरे अल अनफाल )


और जब तुम्हारे पास वह लोग आए जो हमारी आयतों पर ईमान(iman) रखते हैं तो उनसे कहो सलामती हो तुम पर तुम्हारे परवरदिगार ने अपने ऊपर रहमत का यह मामला करना लाजिम कर लिया है कि अगर तुम में से कोई नादानी से कोई बुरा काम कर बैठे फिर उसके बाद तौबा कर लें और अपनी इस्लाह कर ले तो अल्लाह(Allah)बहुत बख्शने  वाला बड़ा मेहरबान है


ऐ पैगम्बर इन से कहो कि जो वही मुझ पर नाझील की गई है उसमें तो मैं कोई ऐसी चीज नहीं पाता जिसका खाना कीसि खाने वाले के लिए हराम हो इल्ला ये कि वह मुर्दार हो या बहता हुआ खून हो या सूअर का गोश्त हो क्योंकि वह नापाक है या जो ऐसा गुनाह का जानवर हो जिस पर अल्लाह के सिवा किसी और का नाम पुकारा गया हो हां जो शख्स इन चीजों में से किसी के खाने पर इनतेहाई मजबूर हो जाए जबकि वह ना लज्जत हासिल करने के गरज से ऐसा कर रहा हो और ना जरूरत की हद से आगे बढ़े तो बेशक अल्लाह बहुत बख्शने वाला बड़ा मेहरबान है 

(सुरे-अत -तौबा)  



और जो लोग बुरे काम कर गुजरे फिर उनके बाद तौबा करले और इमान ले आए तो तुम्हारा रब उस तौबा के बाद उनके लिए बहुत बख्शने वाला बड़ा मेहरबान है (सुरे-अत -तौबा) 

 




और याद करो वह वक्त जब तुम्हारे रब ने ऐलान किया कि वह उन पर कयामत के दिन तक कोई ना कोई ऐसा आजाब मुसल्लत करता रहेगा जो उनको बुरी बुरी तकलीफे पहुंचाएगा बेशक तुम्हारा रब जल्द ही सजा देने वाला भी है और यकीनन वह बहुत बख्शने वाला बड़ा मेहरबान भी है

 (सूरे यूनुस) 



और याद करो वह वक्त जब तुम्हारे रब ने ऐलान किया कि वह उन पर कयामत के दिन तक कोई ना कोई ऐसा आजाब मुसल्लत करता रहेगा जो उनको बुरी बुरी तकलीफे पहुंचाएगा बेशक तुम्हारा रब जल्द ही सजा देने वाला भी है और यकीनन वह बहुत बख्शने वाला बड़ा मेहरबान भी है

 (सूरे यूनुस)


लिहाजा अब तुमने जो माल गनीमत में हासिल किया है उसे पाकीजा हलाल माल के तौर पर खाओ और अल्लाह से डरते रहो यकीनन अल्लाह बहुत बखशने वाला बड़ा मेहरबान है

 (सुरे- हुद) 


ऐ नबी तुम लोगों के हाथों में जो कैदी हैं और जिन्होंने मुसलमान होने का इरादा जाहिर किया है उनसे कह दो कि अगर अल्लाह तुम्हारे दिलों में भलाई देखेगा तो जो माल तुमसे फिदीए में लिया गया है उससे बेहतर तुम्हें दे देगा और तुम्हारी बख्शीश कर देगा और अल्लाह बहुत बख्शने वाला बड़ा मेहरबान है

(सुरे- हुद)


और जब मूसा ने अपने कौम से कहा था कि मेरी कौम हकीकत में तुमने बछड़े को माबूद बना कर खुद अपनी जानो  पर जुल्म किया है लिहाजा अब अपने मालिक से तोबा करो ये खालिक के नजदीक तुम्हारे हक़्क़ में बेहतर हैं इस तरह अल्लाह(ALLAH) ने तुम्हारे तौबा कबूल कर ली देखो वही है जो बेशक इतना माफ करने वाला इन्तेहाई रहम करने वाला है (सुरे-यूनुस) 



और मूसा ने अपने कौम के 70 मुन्तख़ब किए ताकि उन्हें हमारे तय किए हुए वक्त पर कोहेतूर लाए फिर जब उन्हें जल जले ने आ पकड़ा तो मूसा ने कहा मेरे परवरदिगार अगर आप चाहते हैं तो इनको और खुद मुझको भी पहले ही हलाक कर देते क्या हम में से कुछ बेवकूफो की हरकत की वजह से आप हम सब को हलाक कर देंगे जाहिर है कि नहीं लिहाजा पता चला कि यह वाकया आपकी तरफ से सिर्फ एक इम्तिहान है जिसके जरिए आप जिसको चाहे गुमराह कर दें और जिसको चाहे हिदायत दे दे आप ही हमारे रखवाले हैं इसलिए हमें माफ कर दीजिए और हम पर रहम फरमाइए बेशक आप सारे माफ करने वालों से बेहतर माफ करने वाले हैं (सुरे-यूनुस) 



 


    

 

 

पढ़ने के लाभ
जो यह इच्छा करता है कि पूरी सृष्टि उसके प्रति स्नेही हो जाए और इसके विपरीत इस ईस्म को बार-बार सुनाना चाहिए।  जो कोई भी इच्छा करता है कि उसके क्रोध को वश में किया जाए, उसे पहले सलावत (दुर्योद) को 10 बार, फिर अल्लाह के इस नाम को 10 बार पढ़ना चाहिए।  वैकल्पिक रूप से, यदि कोई इसे ऊपर दिखाए अनुसार सुनाता है, और गुस्से में आदमी पर वार करता है, तो उसका गुस्सा जल्द ही काबू में आ जाएगा - इंशाअल्लाह।

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