अल-मुक्सीत का तरजुमा, तफसिर और फायदे हिन्दी में AL MUQSIT

अल-मुक्सीत(Al-Muqsit)
अल-मुक्सीत(Al-Muqsit)


अल्लाह अल-मुक्सीत है, वह जो सबसे उचित और न्यायपूर्ण है।  वह पहचानता है और किसी भी अच्छे, हालांकि छोटे के लिए माप से परे पुरस्कार प्रदान करता है।  वह मानव जाति को न्याय और सद्भाव की ओर ले जाने वाला है।

 अल्लाह अल-मुक्सीत है, वह जो सबसे उचित और न्यायपूर्ण है।  वह पहचानता है और किसी भी अच्छे, हालांकि छोटे के लिए माप से परे पुरस्कार प्रदान करता है।  वह मानव जाति को न्याय और सद्भाव की ओर ले जाने वाला है।

 कुरान और हदीस से उल्लेख

मगर हुआ यह के जो बात उनसे कहीं गई थी जालिमों ने उसे बदलकर एक और बात बना ली नतीजा ये की वह नाफ़रमानियां करते आ रहे थे हमने उनकी इंसाफ में उनपर आसमान से आजाब नाझील किया (सूरे अल बक़रह )


मुसलमानों बहुत से अहले किताब अपने दिल की हसरत के बिना पर यह चाहते हैं कि तुम्हारे ईमान लाने के बाद तुम्हें पलटाकर  फिर काफीर बना दे बावजूद ये के हक़्क़ उनपर वाजेह हो चूका है चुनांचे तुम उनको  माफ़ करो और दरगुजर से काम लो यहाँ तक के अल्लाह(ALLAH) अपना फैसला खुद भेज दे बेशक अल्लाह(ALLAH) हर चीज पर कादिर  है 

(सूरे अल बक़रह )


और यहूदी कहते हैं ईसाईयोंके के मजहब की कोई बुनियाद नहीं और ईसाई कहते है के यहदुओंके मजहब की कोई बुनियाद नहीं हालांकि यह सब आसमानी किताब पढ़ते है इसी तरह वह मुश्रिकीन जिनके पास कोई आसमानी इल्म नहीं है उन्होंने भी यह अहले किताब जैसी बातें कहना शुरू करदी है चुनांचे अल्लाह(ALLAH) क़यामत के दिन इनके बातों का फैसला करेगा जिस तरह यह कहते है (सूरे अल बक़रह ) 


वह आसमानो  और जमीन का मौजिख है और जब वह किसी  बात का फैसला करता है तो उसके बारे में बस इतना कहता है कि हो जा चुनांचे तो वह हो जाती  है  (सूरे अल बक़रह )



शुरू में सारे इंसान एक ही दिन के पैरव् थे फिर जब उनमे इख्तिलाफ हुआ तो अल्लाह(Allah) ने नबी भेजें जो हक़्क़ वालों को खुशखबरी सुनाते और बातिल वालों को डराते थे और उनके साथ हक़्क़ पर मुशतमिल किताब नाज़िल की ताके  वह लोगो दरमियान उन बातो का फैसला करें जिनमें उनका इख़्तेलाफ़ था और अफसोस की बात यह है कि किसी और ने नहीं बल्कि खुद उन्होंने जिन को वह किताब दी गई थी जो रोशन दलाईल आ जाने के बाद भी सिर्फ बाह्मी जिद्द की वजह से इसी किताब में इख्तिलाफ निकाल लिया फिर जो लोग ईमान लाए अल्लाह(Allah) ने उन्हें अपने हुक्म से हक़्क़ उन बातो में राहे रास्त तक पहुंचाया जिन्होने इख्तिलाफ किया था और अल्लाह(Allah) जिसे चाहता है राहे रास्त तक पहुंचा देता है (सूरे अल इमरान ) 



ईमान वालों जब तुम किसी मोयान में मियाद के लिए उधार का कोई मामला करो तो उसे लिख लिया करो और तुम में से जो शख्स लिखना जानता हो इंसाफ के साथ तहरीर लिखें और जो सब लिखना जानता हो लिखने से इंकार न करें जब अल्लाह (Allah)ने उसे यह इल्म दिया है उसे लिखना चाहिए और तहरीर वह शख्स लिखवाए जिसके जिम्मे हक वाजिब हो रहा हो और उसे चाहिए कि वह अल्लाह (Allah)से डरे जो उसका परवरदिगार है और उस हक़ में कोई कमी ना करें हां अगर वह शख्स जिसके जिम्मे हक वाजिब हो रहा है नासमज या कमजोर हो या किसी और वजह से तहरीर ना लिखवा सकता हो तो उसका सरपरस्त इंसाफ के साथ लिखवाए और अपने में से दो मर्दों को गवाह बना लो हां अगर दो मर्द मौजूद ना हो तो एक मर्द और दो औरतें उन गवाह में से हो जाएं जिन्हें तुम पसंद करते हो ताकि अगर उन दो औरतों में से एक भूल जाए तो दूसरी उसे याद दिला दें और जब गवाहों को गवाही देने के लिए बुलाया जाए तो वो इंकार ना करें और जो मामला अपने मियांज से वाबस्ता हो चाहे वह छोटा हो या बड़ा उसे लिखने से उकताओ नहीं यह बात अल्लाह (Allah)के नजदीक ज्यादा करीन इंसाफ और गवाही को दुरुस्त रखने का बेहतर जरिया है और इस बात की करीबी जमानत है कि तुम आइंदा शक में नहीं पढ़ोगे हां अगर तुम्हारे दरमियान कोई नगद लेन-देन का सौदा हो तो उसको ना लिखने में तुम्हारे लिए कुछ हर्ज नहीं है और जब खरीद और फरोख्त करो तो गवाह बना लिया करो और ना लिखने वाले को कोई तकलीफ पहुंचाई जाए ना गवाह को और अगर ऐसा करोगे तो यह तुम्हारी तरफ से नाफरमानी होगी और अल्लाह (Allah)का खौफ दिल में रखो अल्लाह (Allah)तुम्हें तालीम देता है और अल्लाह (Allah)हर चीज का इल्म रखता है (सूरे अन निसा ) 


अल्लाह (Allah)ने खुद इस बात की गवाही दी है और फरिश्तों और अहले इल्म ने भी के उसके सिवा कोई माबूद नहीं जिसने इंसाफ के साथ कायनात का इंतजाम संभाला हुआ है उसके सिवा कोई इबादत के लायक नहीं जिसका इब्तेदार भी कामिल है हिकमत भी कामिल (सूरे अन निसा ) 


मरियम ने कहा अल्लाह (Allah) मुझसे लड़का कैसे पैदा हो जाएगा जबकि मुझे किसी बशर ने छुआ तक नहीं अल्लाह (Allah)ने फरमाया अल्लाह (Allah)इसी तरह जिसको चाहता है पैदा करता है जब वह कोई काम करने का फैसला कर लेता है तो सिर्फ इतना कहता है कि हो जा बस वह हो जाता है (सूरे अन निसा )


उसकी तदबीर उस वक्त सामने आई जब अल्लाह (Allah)ने कहा था कि ऐ ईसा मैं तुम्हें सही सालिम वापस ले लूंगा और तुम्हें अपनी तरफ उठा लूंगा और जिन लोगों ने कुफ्र अपना लिया है उनकी इजा से तुम्हें पाक कर दूंगा और जिन लोगों ने तुम्हारे इत्तेबा की है उनको कयामत के दिन तक उन लोगों पर ग़ालिब रखूंगा जिन्होंने तुम्हारा इनकार किया है फिर तुम सबको मेरे पास लौट कर आना है उस वक्त में तुम्हारे दरमियान उन बातों का फैसला करूंगा जिनमें तुम इख्तिलाफ करते थे (सूरे अन निसा )


मुसलमानों यकीनन अल्लाह(Allah) तुम्हें हुक्म देता है के तुम अमानते उन के हक्क़दारो तक पहुंचाओ और जब लोगों के दरमियान फैसला करो तो इंसाफ के साथ फैसला करो यकीन जानो अल्लाह(Allah) तुमको जिस बात की नसीहत करता है वह बहुत अच्छी होती है बेशक अल्लाह(Allah) हर बात को सुनता और हर चीज को देखता है (सुरे-अल-माइदा) 


बेशक हमने हक्क पर मुजतमिल किताब तुम पर इसलिए उतारी है ताकि तुम लोगों के दरमियान उस तरीके के मुताबिक फैसला करो जो अल्लाह(Allah) ने तुम को समझा दिया है और तुम खयानत करने वालों के तरफदार ना बनो 

(सुरे-अल-माइदा) 


ऐ मुसलमानों यह वह लोग हैं जो तुम्हारे अंजाम के इंतजार में बैठे रहते हैं चुनांचे अगर तुम्हें अल्लाह(Allah) की तरफ से फत्तह मिले तो तुमसे कहते हैं कि क्या हम तुम्हारे साथ ना थे और अगर काफिरों को फत्तह नसीब हो तो उनसे कहते हैं कि क्या हमने तुम पर काबू नहीं पा लिया था और क्या इसके बावजूद हमने तुम्हें मुसलमानों से नहीं बचाया बस अब तो अल्लाह(Allah) ही कयामत के दिन तुम्हारे और उनके दरमियान फैसला करेगा और अल्लाह(Allah) काफिरों के लिए मुसलमानों पर ग़ालिब आने का हरगिस कोई रास्ता नहीं रखेगा (सुरे-अल-माइदा) 


ईमान(iman)वालो इंसाफ कायम करने वाले बनो अल्लाह(Allah) के खातिर गवाही देने वाले चाहे वह गवाही तुम्हारे अपने खिलाफ पढ़ती हो या वालीदैन और करीबी रिश्तेदारों के खिलाफ वह शख्स जिसके खिलाफ गवाही देने का हुक्म दिया जा रहा है चाहे अमीर हो या गरीब अल्लाह(Allah) दोनों किस्म के लोगों का तुमसे ज्यादा है ख़ैर खा है लिहाजा ऐसी नफ़्सानी ख्वाइशात के पीछे ना चल ना जो तुम्हें इंसाफ करने से रोकती हो और अगर तुम तोड़ मरोड़ करोगे यानी गलत गवाही दोगे या सच्ची गवाही देने से पहलु बचाओगे तो याद रखना कि अल्लाह(Allah) तुम्हारे तमाम कामों से पूरी तरह बा खबर है  (सुरे-अल-माइदा) 


यह कान लगा लगा कर झूठी बातें सुनने वाले जी भर भर कर हराम खाने वाले हैं चुनांचे अगर यह तुम्हारे पास आए तो चाहे इन के दरमियान फैसला कर दो और चाहे उनसे मुंह मोड़ लो अगर तुम मुझ से मुंह मोड़ लोगे तो यह तुम्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकेंगे और अगर फैसला करना हो तो इंसाफ से फैसला करो यकीनन अल्लाह (Allah) इंसाफ करने वालों से मोहब्बत करता है (सुरे-अल-अनआम)


ऐ ईमान वालों ऐसे बन जाओ कि अल्लाह (Allah) के एहकाम की पाबंदी के लिए हर वक्त तैयार रहो और इंसाफ की गवाही देने वाले हो और किसी कौम की दुश्मनी तुम्हें इस बात पर आमादा ना करें कि तुम नाइंसाफी करो   

इंशाफ़ से काम लो यही तरीका तकवे से क़रीबतर है और अल्लाह (Allah) से डरते रहो अल्लाह (Allah) यक़ीनन तुम्हारे तमाम कामों से पूरी तरह बा खबर है (सुरे-अल-अनआम)


मूसा ने कहा ऐ मेरे परवरदिगार सिवाय मेरी अपनी जान के और मेरे भाई के कोई मेरे काबू में नहीं है अब आप हमारे और इन नाफरमान लोगों के दरमियान अलग-अलग फैसला कर दीजिए (सुरे-अल-अनआम)


 



 

 


 




 पढ़ने के फ़ायदे
 जो इस इस्मत को रोज़ क़ब्ज़े से पढ़ता है, अल्लाह उसे शायतां से पैदा हुए बुरे शक से बचाएगा।  यदि इसे एक उद्देश्य के लिए 700 बार पढ़ा जाता है, तो इसे अधिग्रहित किया जाएगा - इंशाअल्लाह।

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