अज-जार नाम का तरजुमा, तफसिर और फायदे हिन्दी में AD DAAR

अज-जार (Ad-Daar)
अज-जार (Ad-Daar)


अल्लाह अज-जार है, जो किसी को परेशान करता है या लाभ उठाता है।  वह वह है जिसकी बुद्धि गलत व्यवहार को हतोत्साहित करने के लिए बलपूर्वक सुधार का उपयोग करने का विकल्प चुन सकती है।

 कुरान और हदीस से उल्लेख

 रूट डी-आर-आर से जिसमें निम्नलिखित शास्त्रीय अरबी अर्थ होते हैं: एक राय है कि एक ऐसा कार्य करने के लिए बलपूर्वक सुधार लागू करने का विरोध किया जाता है जो असुविधाजनक, कष्टप्रद है, प्रतिकूलता पैदा करने के लिए नापसंद है, विपत्ति का कारण है, नुकसान के लिए पीड़ित है, घायल और चोट पहुँचाता है।

 और अगर अल्लाह आपको विपरीत परिस्थितियों से छूना चाहिए, तो उसके अलावा कोई भी पदच्युत नहीं है।  और अगर वह आपको अच्छे से छूता है - तो वह सभी चीजों में सक्षम है।  (कुरान 6:17)

 कहो, "क्या हम अल्लाह के बदले आह्वान करेंगे, जो न तो हमें लाभ पहुंचाए और न ही हमें हानि पहुँचाए और अल्लाह के मार्गदर्शन के बाद हमारी ऊँची एड़ी के जूते पर वापस चला जाए?"  [फिर हम] एक ऐसे व्यक्ति के रूप में जिसे शैतानों ने लुभाया [भटकने के लिए] पृथ्वी पर उलझन में है, [जबकि] उसके पास मार्गदर्शन के लिए उसे आमंत्रित करने वाले साथी हैं, [कॉलिंग], to हमारे पास आओ। ’“ कहो, “वास्तव में, मार्गदर्शन।  अल्लाह का [केवल] मार्गदर्शन है;  और हमें संसार के प्रभु को सौंपने की आज्ञा दी गई है।  (कुरान 6:71)

वह जिसका ज्ञान बलपूर्वक सुधार का उपयोग करने के लिए चुन सकता है।  वह जो गलत व्यवहार को हतोत्साहित या सही करने के लिए प्रतिकूलता या संकट पैदा करता है।  वह जिसकी बुद्धि उन स्थितियों का उपयोग कर सकती है जिनमें हानिकारक होने की एक बाहरी उपस्थिति है।

 फिर हुआ  ये के शैतान ने उन दोनों को वहां से डगमगा  दिया और जिस ऐश में वह थे उससे उन्हें निकाल कर रहा और हमने आदम उनकी बीवी और इब्लीस से कहा अब तुम सब यहां से उतर जाओ तुम एक दूसरे के दुश्मन हो  और तुम्हारे लिए एक मुद्दत तक जमीन में ठहरना और किसी कद्र फायदा उठाना तय कर दिया गया है (सुर-ए-बक़रह) 


और उस दिन से डरो जिस दिन कोई शख्स भी किसी के कुछ काम नहीं आएगा ना किसी से किसी किस्म का फिदिया कबुल किया जाएगा ना उस की कोई सिफारिश फायदा देगी और ना उनको कोई मदत पहुंचेगी (सुर-ए-बक़रह)


क्यों नहीं फायदा यह है कि जो शख्स भी अपना रुख अल्लाह(ALLAH) के आगे झुका दे और वह नेक अमल करने वाला हो उसे अपना अज्र अपने परवरदिगार के पास से मिलेगा और ऐसे लोगों को ना कोई खौफ होगा और ना वह गमगीन  होंगे 

(सुर-ए-बक़रह)



ऐ पैगम्बर इनसे कहो कि क्या तुम अल्लाह (Allah) के सिवा ऐसी मखलूक की इबादत करते हो जो तुम्हें ना कोई नुकसान पहुंचाने की ताकत रखती है और ना फायदा पहुंचाने की जबकि अल्लाह (Allah) हर बात को सुनने वाला हर चीज को जानने वाला है (सुरे-अल-अनआम)


अल्लाह(Allah)कहेगा कि यह वह दिन है जिसमें सच्चे लोगों को उनका सच फायदा पहुंचाएगा उनके लिए वह बागात हैं जिनके नीचे नैहरे बहती हैं जिनमें यह लोग हमेशा हमेशा रहेंगे अल्लाह(Allah)उनसे खुश है और यह उससे खुश हैं यही बड़ी जबरदस्त कामयाबी है (सुरे-अल-अनफाल)


 ऐ पैगम्बर इनसे कहो क्या हम अल्लाह(Allah)को छोड़कर ऐसी चीजों को पुकारे जो हमें ना कोई फायदा पहुंचा सकती है ना नुकसान और जब अल्लाह(Allah)हमें हिदायत दे चुका तो क्या उसके बाद भी हम उल्टे पांव फिर जाएं और उस शख्स की तरह हो जाए जिसे शैतान बहका कर सेहरा में ले गए हो और वह हैरानी के आलम में भटकता फिरता हो उसके कुछ साथी हो जो उसे ठीक रास्ते की तरफ बुला रहे हो कि हमारे पास आ जाओ कहो कि अल्लाह(Allah)की दी हुई  हीदायत ही सही मानो में हिदायत है और हमें यह हुक्म दिया गया है कि हम रब्बुल आलमीन के आगे झुक जाए

(सुरे-अल-अनफाल)


कह दो कि क्या मैं अल्लाह (Allah) के सिवा कोई और परवरदिगार(parvardigar)तलाश करु हालांकि वह हर चीज का मालिक है और जो कोई शख्स कोई कमाई करता है उसका नफा नुकसान किसी और पर नहीं खुद उसी पर पड़ता है और कोई बोझ उठाने वाला किसी और का बोझ नहीं उठाएगा फिर तुम्हारे परवरदिगार(parvardigar)ही की तरफ तुम सबको लौटना है उस वक्त मैं तुम्हें वह सारी बातें बताउगा जिनमें तुम इख्तिलाफ किया करते (सुरे-अत -तौबा )



कहो कि जब तक अल्लाह(Allah)ना चाहे मैं खुद अपने आप को भी कोई नफा या नुकसान पहुंचाने का इख़्तियार नहीं रखता और अगर मुझे गैब का इल्म होता तो मैं अच्छी-अच्छी चीजें खूब जमा करता और मुझे कभी कोई तकलीफ ही ना पहुंचती मैं तो बस एक होशियार करने वाला और खुशखबरी सुनाने वाला हूं उन लोगों के लिए जो मेरी बात माने

(सुरे-यूनुस) 

 


पढ़ने के फायदे
जो कोई भी इस को जुमआह की पूर्व संध्या पर 100 बार कहता है, वह सभी शारीरिक और आध्यात्मिक आपदाओं से सुरक्षित रहेगा।  यह उसे अल्लाह के पास भी ले जाएगा - इंशाअल्लाह।  

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