अन-नाफीअ नाम का तरजुमा, तफसिर और फायदे हिन्दी में AN NAAFI

अन-नाफीअ (An-Naafi)
अन-नाफीअ (An-Naafi)


अल्लाह अन-नाफीअ है, पैगंबर है, जो किसी को नुकसान पहुंचाता है वह जिसने भी देखा वह लाभान्वित होता है और जिसने भी वह किया है उसका लाभ उठाता है।  इंसान के लिए अल्लाह की मर्जी के बिना कोई भी अच्छी कमाई करना असंभव है।  वह वह है जो सभी लाभों को स्वीकार करता है।

 कुरान और हदीस से उल्लेख

 रूट n-f- has से, जिसमें निम्नलिखित शास्त्रीय अरबी अर्थ हैं: लाभ के लिए, लाभकारी होने के लिए, किसी चीज़ के उपयोग के लिए उपयोगी होना।

 क्या वे यह नहीं देखते हैं कि अल्लाह किसके लिए प्रावधान करता है और वह इसे प्रतिबंधित करता है [इसे]?  वास्तव में, यह विश्वास करने वाले लोगों के लिए संकेत हैं।  (कुरान 30:37)

 और अल्लाह के अलावा ऐसा न करें कि जो न तो आपको लाभ पहुंचाए और न ही आपको हानि पहुँचाए, क्योंकि अगर आपने ऐसा किया है, तो वास्तव में आप गलत काम करने वाले होंगे।  (कुरान 10: 106)

 जो कोई भी अल्लाह का मार्गदर्शन करता है - वह [सही] निर्देशित है;  और जो कोई भटकता है - वह वही है जो हारे हुए हैं।  (कुरान 7: 178)

 "यह आपके हाथों के लिए है और क्योंकि अल्लाह कभी भी [उसके] नौकरों के साथ अन्याय नहीं करता है।"  और लोगों में से वह वह है जो एक किनारे पर अल्लाह की इबादत करता है।  अगर उसे अच्छे से छुआ जाता है, तो वह उससे आश्वस्त होता है;  लेकिन अगर वह मुकदमे से मारा जाता है, तो वह अपना मुंह [दूसरी दिशा में] मोड़ लेता है।  वह [यह] दुनिया और उसके बाद हार गया है।  (कुरान २२: ११-१२)

वह जो मदद करता है और जो सभी लाभों को अनुदान देता है।  वह जो लाभ और उपयोगिता पैदा करता है।  वह जो सभी अनुकूल परिस्थितियों को अनुदान देता है।  वह जो सभी लाभों को स्वीकार करता है।  वह जो निरंतरता के साथ सारी सृष्टि को आशीर्वाद दे रहा है और वह सब उपयोगी है।  वह जिसके माध्यम से सभी जरूरतें पूरी होती हैं।

 फिर हुआ  ये के शैतान ने उन दोनों को वहां से डगमगा  दिया और जिस ऐश में वह थे उससे उन्हें निकाल कर रहा और हमने आदम उनकी बीवी और इब्लीस से कहा अब तुम सब यहां से उतर जाओ तुम एक दूसरे के दुश्मन हो  और तुम्हारे लिए एक मुद्दत तक जमीन में ठहरना और किसी कद्र फायदा उठाना तय कर दिया गया है (सुर-ए-बक़रह) 


और उस दिन से डरो जिस दिन कोई शख्स भी किसी के कुछ काम नहीं आएगा ना किसी से किसी किस्म का फिदिया कबुल किया जाएगा ना उस की कोई सिफारिश फायदा देगी और ना उनको कोई मदत पहुंचेगी (सुर-ए-बक़रह)


क्यों नहीं फायदा यह है कि जो शख्स भी अपना रुख अल्लाह(ALLAH) के आगे झुका दे और वह नेक अमल करने वाला हो उसे अपना अज्र अपने परवरदिगार के पास से मिलेगा और ऐसे लोगों को ना कोई खौफ होगा और ना वह गमगीन  होंगे 

(सुर-ए-बक़रह)



ऐ पैगम्बर इनसे कहो कि क्या तुम अल्लाह (Allah) के सिवा ऐसी मखलूक की इबादत करते हो जो तुम्हें ना कोई नुकसान पहुंचाने की ताकत रखती है और ना फायदा पहुंचाने की जबकि अल्लाह (Allah) हर बात को सुनने वाला हर चीज को जानने वाला है (सुरे-अल-अनआम)


अल्लाह(Allah)कहेगा कि यह वह दिन है जिसमें सच्चे लोगों को उनका सच फायदा पहुंचाएगा उनके लिए वह बागात हैं जिनके नीचे नैहरे बहती हैं जिनमें यह लोग हमेशा हमेशा रहेंगे अल्लाह(Allah)उनसे खुश है और यह उससे खुश हैं यही बड़ी जबरदस्त कामयाबी है (सुरे-अल-अनफाल)


 ऐ पैगम्बर इनसे कहो क्या हम अल्लाह(Allah)को छोड़कर ऐसी चीजों को पुकारे जो हमें ना कोई फायदा पहुंचा सकती है ना नुकसान और जब अल्लाह(Allah)हमें हिदायत दे चुका तो क्या उसके बाद भी हम उल्टे पांव फिर जाएं और उस शख्स की तरह हो जाए जिसे शैतान बहका कर सेहरा में ले गए हो और वह हैरानी के आलम में भटकता फिरता हो उसके कुछ साथी हो जो उसे ठीक रास्ते की तरफ बुला रहे हो कि हमारे पास आ जाओ कहो कि अल्लाह(Allah)की दी हुई  हीदायत ही सही मानो में हिदायत है और हमें यह हुक्म दिया गया है कि हम रब्बुल आलमीन के आगे झुक जाए

(सुरे-अल-अनफाल)


कह दो कि क्या मैं अल्लाह (Allah) के सिवा कोई और परवरदिगार(parvardigar)तलाश करु हालांकि वह हर चीज का मालिक है और जो कोई शख्स कोई कमाई करता है उसका नफा नुकसान किसी और पर नहीं खुद उसी पर पड़ता है और कोई बोझ उठाने वाला किसी और का बोझ नहीं उठाएगा फिर तुम्हारे परवरदिगार(parvardigar)ही की तरफ तुम सबको लौटना है उस वक्त मैं तुम्हें वह सारी बातें बताउगा जिनमें तुम इख्तिलाफ किया करते (सुरे-अत -तौबा )



कहो कि जब तक अल्लाह(Allah)ना चाहे मैं खुद अपने आप को भी कोई नफा या नुकसान पहुंचाने का इख़्तियार नहीं रखता और अगर मुझे गैब का इल्म होता तो मैं अच्छी-अच्छी चीजें खूब जमा करता और मुझे कभी कोई तकलीफ ही ना पहुंचती मैं तो बस एक होशियार करने वाला और खुशखबरी सुनाने वाला हूं उन लोगों के लिए जो मेरी बात माने

(सुरे-यूनुस) 

 


  

पढ़ने के फायदे


किसी को भी जहाज चलाना या किसी भी वाहन पर चढ़ना चाहिए, इस ईस्म को बहुतायत से पढ़ना चाहिए।  वह सभी खतरों के खिलाफ सुरक्षित रहेगा - अगर अल्लाह चाहता है।  यदि किसी कार्य से पहले 41 बार पढ़ा जाता है, तो इसे कुशलता से पूरा किया जाएगा - इंशाअल्लाह।  

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